पुरुष और नारी से ही होती प्रकृति पूरी, दोनों से ही पूर्णता बिन किसी के अधूरी। पुरुष और नारी से ही होती प्रकृति पूरी, दोनों से ही पूर्णता बिन किसी के अधूरी।
बहुत से लोग पैसा कमाते हैं, कुछ फर्क पड़ता है। बहुत से लोग पैसा कमाते हैं, कुछ फर्क पड़ता है।
उनका भरोसा टूटने न दूंगी, एक दिन आसमाँ अवश्य छू लूंगी। उनका भरोसा टूटने न दूंगी, एक दिन आसमाँ अवश्य छू लूंगी।
आशा की एक किरण संसद से निकल पड़ी सरकार की ये योजना गाँव की ओर चल पड़ी आशा की एक किरण संसद से निकल पड़ी सरकार की ये योजना गाँव की ओर चल पड़ी
क्या जरुरत थी किसी गुप्त योजनायों को सार्वजानिक करने की क्या जरुरत थी किसी गुप्त योजनायों को सार्वजानिक करने की
जिन्होंने कभी बैंक न देखा, बदली उनके हाथों की रेखा खाता जन-धन का खुल रहा, सच में विका... जिन्होंने कभी बैंक न देखा, बदली उनके हाथों की रेखा खाता जन-धन का खुल ...